Farmers Protest: प्रदर्शन के नाम पर 3 Star Hotel में रह रहे किसान नेता, होटल बिलों से हुआ बड़ा खुलासा
Farmers Protest: जहां एक तरफ प्रदर्शनकारी किसान टेंटो और ट्रॉलियों में रात बिता रहे हैं वहीं कुछ किसान नेता हैं, जो महंगे 3 स्टार होटल में रुके हुए हैं. इनमें किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल और कुलवंत सिंह संधू का नाम शामिल है, जो कुंडली के तीन सितारा होटल TDI क्लब रीट्रीट में रुके हुए हैं.
सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर के तीनों नेशनल हाइवे को बीते 100 दिनों से ज्यादा समय से किसान बिल का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने घेरा हुआ है. 100 दिनों से ज्यादा समय से चल रहे इस प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने नेशनल हाइवे पर ही या तो टेंट लगाकर या फिर ट्रॉलियों पर मोटी चादर चढ़ाकर अपने रहने का इंतजाम किया हुआ है. प्रदर्शनकारी कड़ाके की ठंड से लेकर ऐतिहासिक गर्म फरवरी और मार्च में भी इन्हीं टेंटो और ट्रॉलियों में रहकर 26 नवंबर 2020 से प्रदर्शन स्थल पर डटे हुए हैं.
किसान बिल पर चल रहे प्रदर्शन की कमान 40 से ज्यादा किसान नेताओं ने संभाल रखी है. इन्हीं किसान नेताओं की एक आवाज पर किसानों ने अपना घर छोड़कर रोड पर रात बिताने का फैसला किया था, लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि कैसे भोले-भाले किसानों के साथ किसान नेताओं ने धोखा किया. न्यूज़ एजेंसी को अपनी तहकीकात में ये पता चला है कि दिल्ली के बॉर्डरों पर चल रहे विरोध प्रदर्शन में शामिल 2 बड़े किसान नेता प्रदर्शनकारियों के साथ प्रदर्शनस्थल पर नहीं, बल्कि महंगे 3 स्टार होटलों में ठहरते हैं.
किसानों के साथ बड़ा धोखा
न्यूज़ एजेंसी के हाथ जो एक्सक्लूसिव दस्तावेज लगे हैं उसके मुताबिक, किसानों के साथ धोखा करने वाले किसान नेताओं की लिस्ट में पहला नाम है, भारतीय किसान यूनियन राजेवाल के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल का. 12 दिसंबर 2020 से लेकर अब तक सिंघु बॉर्डर प्रदर्शनस्थल के पास के ही 3 स्टार होटल TDI Club Retreat में ठहरे हुए हैं.
न्यूज़ एजेंसी के पास मौजूद TDI Club Retreat होटल के आधिकारिक बिल के मुताबिक, किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल के नाम से 12 दिसंबर 2020 को होटल का महंगा कमरा नंबर 206 बुक किया गया था. इस कमरे में किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल 12 दिसंबर 2020 से 2 मार्च 2021 तक रुके थे, जिसके बाद 3 मार्च 2021 को किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने अपना कमरा नंबर 206 बदलकर कमरा नंबर 303 में शिफ्ट हो गए जहां वो अभी भी रह रहे हैं.
1 लाख 30 हजार से ज्यादा का होटल बिल
आइए अब आपको बताते हैं किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल का खर्च यहां पर कितना है. हमारे पास मौजूद TDI CLUB Retreat होटल के बिलों के मुताबिक, बलबीर सिंह राजेवाल ने 12 दिसंबर 2020 से 28 जनवरी 2021 तक 1 लाख 30 हजार से ज्यादा का होटल का बिल भरा जिसमें कमरे में ठहरने के साथ 1 टाइम के नाश्ते का खर्च और कपड़े धुलवाना जैसे और खर्च शामिल थे.
TDI CLUB होटल के बिल के मुताबिक, किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल का रोजाना कमरे में सिर्फ ठहरने का ही बिल 2,500 रुपये था जिसके अलावा 1 टाइम नाश्ते और कपड़े धुलवाने का बिल अलग से था.
– 19 दिसंबर को राजेवाल ने सुबह होटल में 288 रुपये का नाश्ता किया और कमरे का बिल था 2500 रुपये. मतलब 19 दिसंबर का राजेवाल का बिल बना 2788 रुपये.
– इसी तरह 20 दिसंबर को किसान नेता राजेवाल ने 500 रुपये लॉन्ड्री बिल देकर अपने कपड़े धुलवाए और नाश्ते पर खर्च किए 356 रुपये. साथ ही 79 रुपये की राजेवाल ने एक चाय पी. वहीं कमरे का बिल था, 2500 रुपये, जिसके बाद 20 दिसंबर को राजेवाल का कुक बिल बना 3 हजार 435 रुपये.
– ऐसे ही राजेवाल का 21 दिसंबर का बिल था 3 हजार रुपये. 22 दिसंबर का था 2500 रुपये, 23 दिसंबर का बिल था 3159 रुपये, 24 दिसंबर का 2500 रुपये, 25 दिसंबर का 2931 रुपये, 26 दिसंबर का 3154 रुपये, 27 दिसंबर का 2946 रुपये.
धोखाधड़ी का सबूत न मिल पाए इसलिए किया ये काम
न्यूज़ एजेंसी के पास मौजूद बिलों की माने तो राजेवाल ने 19 दिसंबर 2020 से 28 जनवरी 2021 तक कुल 1 लाख 8 हजार 382 रुपये का पेमेंट किया, जिसमें सिर्फ 6 जनवरी को ही राजेवाल ने होटल में 10 हजार का एडवांस पेमेंट क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किया. बाकी हर बार राजेवाल ने पेमेंट कैश में किया जिससे किसी को उनके किसानों के साथ किए गए इस धोखाधड़ी का सबूत न मिल पाए.
मौजूद आंकड़ों के हिसाब से अगर 9 मार्च तक राजेवाल के होटल के खर्च का अनुमान लगाएं, तो अब तक कम से कम बलबीर सिंह राजेवाल 2 लाख 40 हजार से ज्यादा का होटल बिल चुका चुके होंगे.
होटल में मिल रहा डिस्काउंट भी
वैसे राजेवाल के लिए इस लाखों के बिल में डिस्काउंट भी है. इस होटल का एक दिन का कमरे का किराया 3 हजार रुपये से ज्यादा है, लेकिन किसान आंदोलन की वजह से कुंडली क्षेत्र का उद्योग ठप पड़ा है और ग्राहक आ नहीं रहे तो होटल ने भी किराया कम करके 2500 रुपये रोजाना कर दिया है.
खाने–पीने का मुफ्त इंतजाम
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल के बाद प्रदर्शनकारियों की आंख में धूल झोंकने वाले जिस दूसरे बड़े किसान नेता को हमने अपनी तहकीकात में पकड़ा वो हैं, जमूहरी किसान सभा, पंजाब के महासचिव कुलवंत सिंह संधू. संधू, बलबीर सिंह राजेवाल के साथ इस तीन सितारा होटल TDI CLUB RETREAT के कमरा नंबर 201 में अपने बेटे दोसांझ के साथ 27 दिसंबर 2020 से रुके हुए हैं, लेकिन किसान नेता कुलवंत सिंह संधू का हाल बलवीर सिंह राजेवाल से बहुत अलग है.
जहां बलबीर सिंह राजेवाल अब तक होटल के लाखों रुपये का बिल चुका चुके हैं तो वहीं दूसरी तरफ कुलवंत सिंह संधू का होटल में ठहरने से लेकर खाने-पीने और नाश्ते तक का इंतजाम मुफ्त में है. कुलवंत सिंह संधू पर ये मुफ्त वाली मेहरबानी TDI होटल के मालिकों में से एक दिल्ली में रहने रविन्द्र तनेजा ने की हुई है.
कौन है मुफ्त वाली मेहरबानी करने वाला रविन्द्र तनेजा
वैसे आपके यह जानना बहुत जरूरी है कि जिस 3 स्टार होटल TDI CLUB RETREAT के कमरों में ये किसान नेता आराम फरमा रहे हैं, उसके मालिकों में से एक रविन्द्र तनेजा है कौन. रविन्द्र तनेजा हरियाणा के गुड़गांव जिले में हुए मानेसर जमीन घोटाले का आरोपी है.
साल 2020 में ईडी की दायर की गई पंचकूला स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट के मुताबिक, रविंद्र तनेजा समेत 13 अन्य बिल्डरों ने गुड़गांव जिले के मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला गांवों के किसानों के साथ 1500 करोड़ का गबन किया था.
CBI की 2015 की FIR और ईडी की 2020 की चार्जशीट के मुताबिक, हरियाणा सरकार ने मॉडल औद्योगिक शहर बसाने के लिए 912 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने की अधिसूचना जारी की थी जिसके बाद 27 अगस्त, 2004 से 24 अगस्त, 2007 के बीच रविन्द्र तनेजा समेत 12 और बिल्डरों ने हरियाणा सरकार के बड़े अधिकारियों के साथ मिलकर गुड़गांव जिले के मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला गांव के किसानों को भूमि अधिग्रहण का भय दिखाकर उनकी 400 एकड़ जमीन महज 100 करोड़ रुपये में खरीद ली थी.
जबकि उस समय 1 एकड़ जमीन की कीमत 4 करोड़ रुपये थी. बिल्डरों ने जब अधिग्रहण का भय दिखाकर किसानों से कौड़ियों के भाव उनकी जमीन खरीद ली तब तत्कालीन हुड्डा सरकार ने 2007 में एक नई अधिसूचना लाकर इस जमीन को अधिग्रहण से बाहर कर दिया था.
जांच एजेंसियों के अनुमान के मुताबिक, रविन्द्र तनेजा और उसके अन्य साथी बिल्डरों ने किसानों को डर दिखा कर और सरकारी गठजोड़ के जरिए गुड़गांव के तीन गांवों के किसानों को 1500 करोड़ रुपए का चूना लगाया था.