Omicron ?? आपके हर सवाल का जवाब यहां पढ़िए

Omicron ?? आपके हर सवाल का जवाब यहां पढ़िए

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Omicron ?? आपके हर सवाल का जवाब यहां पढ़िए

30 जनवरी 2020, ये तारीख शायद ही कोई भूल पाएगा। नए साल का आगाज लोगों ने पूरे जश्न के साथ किया। उसके बाद 30 जनवरी को कोरोना का पहला मामला सामने आया था। इससे पहले दुनिया भर में इसकी चर्चा हो रही थी। लेकिन हम इस खतरे से बेफिक्र थे। नतीजा हम सभी के सामने है।
अब ओमीक्रोन दुनियाभर के लिए एक नया चैलेंज है। 29 नवंबर को आधिकारिक तौर पर साउथ अफ्रीका में पहला मामला सामने आया था। जिसके बाद अब तक ये 29 राज्यों तक दस्तक दे चुका है। भारत में भी 2 मामले सामने आ चुके हैं।
  1. ओमीक्रोन वायरस पहली बार कब पाया गया ?
    24 नवंबर 2021 को दक्षिण अफ्रीका के शोधकर्ताओं ने ओमीक्रॉन (बी.1.1.529) नामक एक नए संस्करण की सूचना दी। इसके दो दिन बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इसे ‘चिंता का एक रूप’ बताया था। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को जानकारी दी कि कर्नाटक में ओमीक्रॉन वैरिएंट के दो मामलों का पता चला है। कोरोनावायरस के नए वेरिएंट को देखते हुए केंद्र सरकार ने शुक्रवार को SARS-CoV-2 वेरिएंट-Omicron पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों का उल्लेख करते हुए एक दस्तावेज़ जारी किया।
  2. ओमीक्रोन क्या है और क्यो इसे चिंता का एक प्रकार माना गया?
    यह SARS-CoV-2 का एक नया संस्करण है जिसे हाल ही में 24 नवंबर 2021 को दक्षिण अफ्रीका में पाया गया। B.1.1.1.529 या Omicron (यूनानी वर्णमाला जैसे अल्फा, बीटा, डेल्टा आदि पर आधारित) के रूप में रिपोर्ट किया गया है। इसमे बहुत बड़ी संख्या में उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) दिखाया है, विशेष रूप से वायरल स्पाइक प्रोटीन पर 30 से अधिक, जो एंटीबॉडी पर असर करता है। ओमीक्रोन में म्यूटेशन को देखते हुए, इसकी संक्रामकता क्षमता और दक्षिण अफ्रीका में सकारात्मक मामलों की संख्या में अचानक वृद्धि के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ओमीक्रोन को चिंता का एक कारण घोषित किया।
  3. क्या RT-PCR जांच से ओमीक्रोन का पता लगाया जा सकता है?
    SARS-CoV 2 वैरिएंट का पता लगाने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला तरीका RT-PCR है। यह विधि वायरस की उपस्थिति की पुष्टि करने के लिए वायरस में विशिष्ट जीन का पता लगाती है। हालांकि ओमीक्रोन के मामले में चूंकि एस (स्पाइक) जीन बहुत अधिक उत्परिवर्तित होता है और कुछ प्राइमरों से एस जीन की अनुपस्थिति का संकेत मिलता है (जिसे एस जीन ड्रॉप आउट कहा जाता है)। जिसके कारण इसका पता लगाने में चूक हो सकती है। ओमीक्रोन का पता लगाने का अंतिम तरीका जीनोम टेस्टिंग ही है।
  4. हमें नए VoC (Varinat Of Concern) को लेकर कितना चिंतित होना चाहिए?
    ये सवाल सभी के मन में आ रहा होगा कि क्या ओमीक्रोन वेरिएंट से चिंतित होना चाहिए। तो इसका जवाब है कि चिंतित से ज्यादा बचाव करना जरुरी है। WHO ने मूल्यांकन के बाद इस वेरिएंट को वेरिएंट ऑफ कंसर्न बताया है। जब कोरोना वायरस महामारी साइंस में संक्रमण या हानिकारक परिवर्तन में वृद्धि होती है टीके, चिकित्सा विज्ञान की प्रभावशीलता में कमी होती है विश्व स्वास्थ्य संगठन की जिम्मेदारी होती है कि वो दुनिया को बताए कि ये कितना खतरनाक हो सकता है।अभी भी इस बात पर रिसर्च हो रही है कि इस वेरिएंट में वैक्सीन कितनी असरदार है। असरदार है भी या नहीं।
  5. हमें क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
    बरती जाने वाली सावधानियां और कदम पहले की तरह ही रहेंगे। ठीक से मास्क पहनना आवश्यक है। अगर अभी तक वैक्सीन नहीं लगवाई तो वैक्सीन की दोनों डोज लगवाएं। सोशल डिस्टेंसिंग दूरी बनाए रखें और जितना हो सके घर में अच्छा वेंटिनेशन बनाए रखें।
  6. क्या कोई तीसरी लहर होगी?
    दक्षिण अफ्रीका के बाहर के देशों से ओमाइक्रोन के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं और इसकी विशेषताओं को देखते हुए, इसके भारत सहित अधिक देशों में फैलने की संभावना है। हालांकि मामलों में वृद्धि का पैमाना ,परिमाण और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इससे होने वाली बीमारी की गंभीरता अभी भी स्पष्ट नहीं है। इसके अलावा भारत में टीकाकरण की गति को तेज करना होगा। डेल्टा संस्करण से इसके जोखिम के चांस ज्यादा का अनुमान है। हालांकि वैज्ञानिक प्रमाण अभी भी विकसित हो रहे हैं।
  7. क्या मौजूदा टीके ओमीक्रोन के खिलाफ काम करेंगे?
    हालांकि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मौजूदा टीके ओमीक्रोन पर काम करते हैं या नहीं। वैज्ञानिक अभी इसकी पुष्टि कर रहे हैं। स्पाइक जीन पर रिपोर्ट किए गए कुछ उत्परिवर्तन मौजूदा टीकों की प्रभावकारिता को कम कर सकते हैं। हालांकि वैक्सीन के कारण एंटीबॉडी से हम बेहतर ढंग से इस वायरस से बच सकते हैं। इसलिए वैक्सीन से अभी भी गंभीर बीमारी से सुरक्षा प्रदान करने की उम्मीद की जाती है और वैक्सीनेशन जरुरी भी है।